अपना देश भारत मे हिन्दी के बाद सबसे जियादा
लोगिन के मातृभाषा भोजपुरी कई दशक से अपने अस्तित्व के लड़ाई लड़ रहल बिया । चालीस
के दशक से जवने भाषा के मान्यता के आवाज उठ रहल बा आउर ओकरे अस्तित्व के अनदेखी हो रहल बा , उहो एगो मिशाले बा । भोजपुरी भाषा के जनम आउर
ओकर इतिहास 1000 बरिस से ढेर पुराना ह । एकर समय समय पर प्रमान सरकार के दीहल जा
चुकल बा , बाकि हर बेरी कवनो – कवनो बहाना से मान्यता के बाधित कइल गइल बा ।
कबों केहु बोली बा , केहु ब्याकरण नइखे , गद्य नाही बा , किताब नइखे लिखाइल आदि - आदि कहके भाषा के विकास के रसता मे काँटा बोवे के
काम कइलस । ई कुल्हि करे वाला लोग भोजपुरिए बा , केहू दोसर नइखे । अबहियों कुछ लोगिन के मरोड़ उठत बा उहो हिन्दी के नाँव पर ।
उ लोगिन के हिसाब से भोजपुरी के जदि संविधान के आठवीं अनुसूची मे सामिल कर दिहल जाई
, त हिन्दी कमजोर हो जाई । हमरे आज तलक नाही बुझाइल कि अब तलक ई लोग हिन्दी के चबात
रहने ह का , काहें नाही हिन्दी के मजगुती देवे खाति काम कइलन ।
कादों मुफुत के मलाई चाभत – चाभत चरबिया गइल बा लोग भा कुंभकरनी नीन मे आजु ले रहल
ह लोग ।
भोजपुरी भाषा के साहित्य गहिराहे बले भरल पूरल बा । ब्याकरण , गद्य , कविता, कहानी , लघुकथा , व्यंग , शोध आलेख , लोक संगीत के संगे आउर बहुत कुछ बा जवना के कुछ तथाकथित लोग अनदेखी क रहल
बा । आजु ले जेतना साहित्यिक काम भोजपुरी मे भइल बा उ कुल्हि लोग अपनही कइले बा , बिना कवनो सरकारी सहजोग के । ई काम आजों चल रहल बा , अनवरत चल रहल बा । अगहु चलत रही , अबाध चलत रही
बाकि अब अपने भाषा के अनदेखी के बिरोध होखी , सम्मान के मांग
होखी , अधिकार के मांग होखी । जवन अब हो रहल बा । भोजपुरी के ढेर पत्र पत्रिका निकल रहल बानी सन । सरकार से कर्मठ भोजपुरिया
लोग अपने माई भाषा के सनमान खाति तन मन धन से जूझ रहल बा,
भाषा बिरोधियन के उनुकर जगह बता रहल बा । बिना जनले , पढ़ले
जवन लोग आजु ले बेमतलब के कुछहू बोलत रहल ह , ओकरो अब ककहरा
पढ़ावल जा रहल बा । राष्ट्रीय स्तर पर अब भोजपुरी भाषा के मान्यता के आंदोलन ज़ोर
पकड़ रहल बा ।
अब त सरकारो के जागहीं के परी , काहें कि लोकसभा आउर राज्य सभा मे मांग उठे लागल बा । कुछ राज्य सरकार भोजपुरी के मान्यता खाति केंद्र से
निहोरा कर चुकल बानी स , कुछ करे खाति तइयार हो रहल बानी स ।
पढ़ल लिखल लोग के शरम दूर हो रहल बा , अब उहो बेझिझक भोजपुरी
बोल रहल बा , लिख रहल बा । दिन पर दिन संख्या बढ़ रहल बा , एकरा के सोसल मीडिया पर देखल जा सकेला । समाज मे ढेर लोग बा जेकरे दिन मे
ना लउकत , ओहनियों के रसता देखावल जा रहल बा । भोजपुरी मे कई
गो वेव पोर्टल शुरू हो चुकल बा आउर आए दिन शुरू हो रहल बा । नवहा भोजपुरी से जुड़
रहल बाड़ें , जवन भोजपुरी भाषा खाति ढेर शुभ बा । उत्तर
प्रदेश मे नवगठित सरकार क्षेत्रीय भाषा के लेके पहिले दिन से जागरूक बा , ओकरे खाति दिशा निर्देश जारी हो चुकल बा । अब जबले केंद्र सरकार भोजपुरी
भाषा के संविधान के आठवीं अनुसूची मे सामिल ना कर देही , ई
आंदोलन दिनो दिन तेज होत रही ।
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जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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