पाकल केसिया भइलें पुरनियाँ
धनियाँ अबो बोलावेलें।
आँखि मटकावें देखि नचनियाँ
धनियाँ अबो बोलावेलें।
नयनन से बान चलावें
दियना नेह के जरावें
अबहिनो बोलेलें दुलहिनियाँ
धनियाँ अबो बोलावेलें।
चनरमा देखि मुसुकावें
गीत प्रेम प्यार के गावें
पचपन में कहि कहि कनिया
धनियाँ अबो बोलावेलें।
हाथ मिलाई चलिहें ठावें
राखें अबो पलक के छावें
देखत दर्पन मचले जवनियाँ
धनियाँ अबो बोलावेलें।
· जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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