बोल
बतियाय के
मंच
माइक सजाय के
माला
पहिर, पहिराय के
अपना
के बीजी देखावल जाव
गोबरउरा
के जनम छोड़ावल जाव।
कतनों
फइलाव देखाय के
बानी
पहरूवा, ई जनाय के
कुछ
भीड़-भाड़ जुटाय के
तेवहार
लेखा मनावल जाव
गोबरउरा
के जनम छोड़ावल जाव।
गिनती
पहाड़ा पढ़ाय के
कवनो
अंक बताय के
जरि
मनी चिचिआय के
आपन
चेहरा चमकावल जाव
गोबरउरा
के जनम छोड़ावल जाव।
कुछ
खाय नहाय के
कुछ
गाय-बजाय के
कुछ
नचनियों नचवाय के
लोगिन
के बहकावल जाव
गोबरउरा
के जनम छोड़ावल जाव।
· जयशंकर प्रसाद
द्विवेदी